विश्वविद्यालय कुलगीत
पवित्रित वेदमंत्रों से मनोरम देवभूमि-निलय
विराजे नवल नालन्दा उन्हीं की छाँव में मधुमय
हिमाचल विश्वविद्यालय
विविध विद्यावलय, जय जय !!
धरा जो शक्तिपीठों की, धरा शत कोटि तीर्थों की
धरा जो शैलसंस्कृति की, धरा जो नृत्य-गीतों की
जहाँ रावी-विपाशा चन्द्रभागा पुण्य सलिलाएँ
कुसुम गलहार बनती हैं शतद्रू संग सरिताएँ ,
धरा माण्डव्य ऋषि की परम पावन, ज्ञानमय-चिन्मय
हिमाचल विश्वविद्यालय
विविध विद्यावलय, जय जय !!
जहाँ तक रम्य धौलाधार पर्वत-शृंखला दिखतीं
वहाँ तक ज्ञान मधु रश्मियाँ नित फैलती रहतीं
थिरकते पाँव नाटी पर, लरजते गीत चम्बा के
स्वयं श्री शारदा साकार हो उठतीं उन्हें गा के
लिए शस्त्रे च शास्त्रे कौशलम् का मन्त्र जो निर्भय
हिमाचल विश्वविद्यालय
विविध विद्यावलय, जय जय !!
तपोरत देवदारु खड़े तथागतसदृश- हैं लगते
सुभग सन्देश मैत्री का निरन्तर बाँटते रहते
हिमाचल का परम गौरव, सदन विद्या-कलाओं का
सदन विज्ञान का, तकनीकियों का, योग्यताओं का
निरन्तर बढ़ रहा आगे उदित रवि सा, सतत समुदय
हिमाचल विश्वविद्यालय
विविध विद्यावलय, जय जय !!